दरअसल सनातन धर्म में यमराज मृत्यु के देवता हैं, तो शनि भी कर्म के दंडाधिकारी हैं। ऐसा माना जाता है कि गलती कैसे भी हुई हो जानकर या अनजाने में उसका दंड तो व्यक्ति को जीवन में भोगना ही पड़ता है। कि शनि को लोग क्रूर ग्रह भी कहते हैं। इस लेख में ज्योतिषाचार्य पं. जगदीश शर्मा आपको बता रहे हैं शनि देव के बारे में सबकुछ जो नहीं जानते होंगे
हिंदू धर्म में जहां देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना का विधान है, वहींं देवों द्वारा किए जाने वाले कर्मों का अधिपति भी बनाया गया है। एक देव हैं शनि देव। इन्हें न्याय का देवता भी माना जाता है। शनि देव कर्मों के हिसाब से फल देने वाले दंड के विधान पर कार्य करते हैं। दरअसल सनातन धर्म में जहां यमराज मृत्यु के देवता हैं, तो वहीं शनि भी कर्म के दंडाधिकारी हैं।
ऐसे में माना जाता है कि गलती कैसे भी हुई हो जानकर या अनजाने में उसका दंड तो व्यक्ति को भोगना ही पड़ता है। यही कारण है कि शनि को लोग क्रूर ग्रह भी कहते हैं।
तब बढ़ती हैं मुश्किलें…
यूं तो शनि के संबंध में मान्यता है कि अपनी चाल से या राशि में आकर व्यक्ति को उसके कर्मों का फल प्रदान करते हैं। लेकिन इसमें भी सबसे बुरी स्थिति तब मानी जाती है जब किसी को शनि की ढैया या साढ़ेसाती लगी हो या कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव के कारण वह किसी रोग से पीडि़त हो। ऐसे में बार शनि के क्रूर दंड का प्रहार भी देखने को मिलता है।
शनि की कृपा बनाती है धनवान, वरना होता है ये हाल
तो शनिदेव न्याय के विधान से बंधे होने के कारण गलत कर्मों का दंड अवश्य देते हैं, लेकिन माना जाता है कुछ अनजाने में हुई गलतियों पर अत्यधिक दंड न देते हुए दंड को सामान्य कर लेते हैं। शनि देव के बारे में मान्यता है कि वे किसी पर प्रसन्न हो जाएं, तो उस व्यक्ति का भाग्य चमक जाता है। उसका घर सुख समृद्धि से भर जाता है। इसके अलावा शनिदेव किसी व्यक्ति पर क्रोधित हो जाएं या उनकी कुदृष्टि जिस व्यक्ति पर जाती है , व्यक्ति पल भर में राजा से रंक बन सकता है। यही कारण है कि शनिदेव से लोग सदैव भयभीत रहते हैं। जबकि मान्यता के यदि व्यक्ति के कर्म अच्छे रहे हैं तो, शनि कभी भी आपको नुकसान नहीं पहुंचाता है।