दीप ने ये बताया कि ढाई लाख डॉक्यूमेंटिड ड्रीमर्स है इन में से 90 प्रतिशत STEM की पढाई कर रहे हैं STEM मतलब साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स। मुहिल रविचंद्रन भी दीप की तरह ही डॉक्यूमेंटिड ड्रीमर्स हैं और उन्हें भी अपने भविष्य को लेकर यही चिंता है।
इस तरह अमेरिका में ढाई लाख लगभग डॉक्यूमेंटिड ड्रीमर्स है –
अमेरिका में सभी ढाई लाख डॉक्यूमेंटिड ड्रीमर्स का फ्यूचर खतरे में है और उन सभी पर अमेरिका से निकाले जाने का डर हावी है। आपको बता दें इन डॉक्यूमेंटिड ड्रीमर्स में मैक्सिम भारतीय मूल के बच्चे हैं। अब ये लोग अमेरिकी संसद से मांग कर रहे हैं कि चिल्ड्रेन एक्ट को जल्द पास कर दें। अमेरिका की संसद में 2021 से ये चिल्ड्रेन एक्ट पेंडिंग है, अगर यह कानून एक बार पास हो जाता है तो इनका फ्यूचर सिक्योर हो जायेगा फिर इन ढाई लाख युवाओं को अमेरिका नहीं छोड़ना पड़ेगा और फिर वह अमेरिका में ही रहकर वहाँ की नागरिकता के लिए ऐप्लाई कर सकेंगे।
कौन हैं डॉक्यूमेंटिड ड्रीमर्स..
हर साल दुनियाभर से बहुत बडी संख्या से लोग अपने सपनों को पूरा करने के लिए अमेरिका का रुख करते हैं।और इनमें बड़ी संख्या गैर-प्रवासी वीजा या लॉन्ग टर्म वीजा लेकर अमेरिका में काम करने वालो की हैं। इन्ही लोगों के बच्चों को यहाँ यानि अमेरिका में ‘डॉक्टूमेंटिड ड्रीमर्स’ कहा जाता है। दरअसल नियम कुछ ऐसा है कि 21 साल की उम्र तक तो ये बच्चे पूरे कानूनी अधिकार से अमेरिका में रह सकते हैं और अपनी ऐजुकेशन भी ले सकते हैं। और अगर इन बच्चों को या इनके पैरेंटस को उनके 21 साल का होने से पहले अमेरिका की नागरिकता हासिल हो जाती है तो ठीक हो जाता है।नहीं तो इन बच्चों को अमेरिका छोड़ना ही छोडना पड़ता है।
और इसी वजह से ये युवा अमेरिका की सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि वह जल्दी से जल्दी अमेरिका में चिल्ड्रेन एक्ट पास कर दें ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके। इस संबध में इंप्रूव द ड्रीम संगठन के संस्थापक दीप जो कि भारतीय मूल के हैं ने कहा कि ‘अब वह समय आ गया है कि जल्दी से जल्दी अमेरिका में चिल्ड्रेन एक्ट को पास कर दिया जाए और हमेशा हमेशा के लिए इस समस्या का अंत हो जाए।’ दीप ने यह भी बताया कि इन ढाई लाख डॉक्यूमेंटिड ड्रीमर्स में से लगभग 90 प्रतिशत साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स की पढ़ाई कर रहे हैं।