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लोकसभा चुनाव 2024 में अब बहुत कम समय बचा है और ऐसे में विपक्षी पार्टियां एक अलग गठबंधन बनाने के मूड में लग रही हैं आइए जानते हैं खबर विस्तार से…
इस खबर की शुरुआत इस बात से हुई जब जनता दल सेकुलर के मुखिया और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने अपने एक बयान में कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में वह वामपंथी पार्टियों का ही साथ देंगे या फिर वामपंथी पार्टी जिस को समर्थन देंगी वह भी उसी को समर्थन देंगे ।
यह बात उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहीं और ऐसा लगता है कि इसके पीछे कोई वजह जरूर है आइए जानते हैं कि इसकी क्या है वजह..
ज्योति बसु ने पीएम पद के लिए देवेगौड़ा के नाम का प्रस्ताव रगा था,..
बात 1996 की है जब 11वीं प्रभा प्रधानमंत्री के रूप में देवड़ा ने शपथ ली थी उस वक्त देवगौड़ा ने भी नहीं सोचा था कि वह देश के प्रधानमंत्री बनेंगे देवगौड़ा बता चुके हैं कि जब अटल बिहारी की सरकार गिरी तो लगभग है ताकि ज्योति बसु प्रधानमंत्री बनेंगे लेकिन आश्चर्यजनक रूप से यह बात बदल गई और उन्हें प्रधानमंत्री का पद मिल गया और सबसे आश्चर्य की बात यह थी कि ज्योति बसु ने ही उनके नाम का प्रस्ताव दिया था इसलिए अगर आप अगर 2024 में देवगौड़ा वामपंथी पार्टियों का साथ देने की बात कर रहे हैं तो यह उसी का एहसान उतारने की एक कोशिश है।
हो रही है कोशिश विपक्षी एकजुटता की…
2024 का लोकसभा चुनाव आने में ब बहुत कम समय बचा है लगभग 1 साल का ही समय बचा है ऐसे में तमाम विपक्षी पार्टियां भाजपा के खिलाफ गठबंधन बनाने में सक्रिय हो गई है। इसी सिलसिले में अभी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने दिल्ली में राहुल गांधी से और केजरीवाल से भी बातचीत की है। अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में भी दिख रहा है कि विपक्ष द्वारा जेपीसी की मांग की जा रही है और सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट हैं।