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विश्व बैंक में ‘हाउ बिहेवियरल चेंज कैन टैकल क्लाइमेट चेंज’ शीर्षक वाली LiFE पहल पर वर्चुअली रूप से श्री मोदी ने भाषण दिया। पीएम मोदी ने इस भाषण में कहा किइसके लिए एवेयरनेस जरूरी है । प्रत्येक व्यक्ति को इस बात से एवेयर कराना होगा कि पृथ्वी को उनकी पसंद के अनुसार भी मदद मिल सकती है।
खबर विस्तार..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ‘कैसे व्यवहारिक परिवर्तन से जलवायु परिवर्तन से निपटा जा सकता है’ पर भारत के दृष्टिकोण को सामने रखा। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने के सबसे शक्तिशाली तरीकों में से एक व्यवहार परिवर्तन है, जिसकी शुरुआत हर घर से होनी चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला सिर्फ कॉन्फ्रेंस रूम की टेबल से नहीं किया जा सकता, इसे हर घर में खाने की टेबल पर लड़ना होगा। जब कोई विचार चर्चा टेबल से खाने की टेबल पर जाता है, तो यह एक जन आंदोलन बन जाता है।
मिशन लाइफ का मकसद जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को लोकतंत्रीकरण करना है। विश्व बैंक में ‘हाउ बिहेवियरल चेंज कैन टैकल क्लाइमेट चेंज’ शीर्षक वाली लाइफ पहल पर वर्चुअली मुख्य भाषण देते हुए पीएम मोदी ने ये सब कहा।
इस विषय पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा की लाइफ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को लोकतंत्र में लाना है जब लोग इस बात से अगर हो जाएंगे उनकी छोटी से छोटी बात भी जलवायु परिवर्तन में सहायक हो सकती है तो इसके अच्छे रिजल्ट होंगे
पीएम मोदी की टिप्पणी से एक साथ हुए वैश्विक नेता…
पीएम मोदी की टिप्पणी ने पर्यावरण जलवायु ऊर्जा इन तीनों में भविष्य के सामने आने वाली सबसे बड़ी चुनौती और नए विचारों को अंतर्दृष्टि से उनका समाधान ढूंढना होगा इस बात में विश्व के सभी नेताओं को एक साथ होने के लिए विवश कर दिया उन्होंने व्यवहारिक परिवर्तन को महत्व देते हुए यह भी कहा कि भारत के लोगों ने इस तरीके से इस में अपना सहयोग दिया है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऊर्जा, पर्यावरण और जलवायु के क्षेत्र में भविष्य के सामन सबसे बड़ी चुनौतियां क्या हो सकती है और कैसे अंतर्दृष्टि और दूरदर्शिता से इसका समाधानों किया जा सकता है, उनके इन विचारो को जानकर सभी वैश्विक नेता एक साथ हो लिये। उन्होंने प्रभाव डालने वाले व्यवहार परिवर्तन के उदाहरणों का हवाला देते हुए भारत के लोगों द्वारा किए गए प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि भारत में किस तरीके से लोग इसके खिलाफ छोटी-छोटी लड़ाई लड़ रहे हैं और लैंगिक अनुपात में भी सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं दूरदराज के इलाकों और समुद्री तट पर रहने वाले लोगों ने भी इसमें बहुत योगदान दिया है वह स्वच्छता अभियान के नियमों का पालन कर रहे हैं और सार्वजनिक स्थान कूडा मुक्त हो इसके लिए भी अभियान जारी है।
प्रधानमंत्री ने श्रोताओं बताया कि कैसे ऊर्जा और संसाधनों केसही प्रयोग और भारत के उपभोग पैटर्न को विनियमित करने से इसमें काफी चेंज आया है। उन्होंने आगे सूचित करते हुए कहा,कि इन सभी प्रयासों से लगभग 22 अरब यूनिट ऊर्जा की बचत होगी, यहीं नहीं नौ ट्रिलियन लीटर पानी बच सकेगा और कचरे को कम किया जा सकेगा 37.5 करोड़ टन तक। और रिसाइकल किया जायेगा लगभग 10 लाख टन ई-कचरे का ।इस तरह 2030 तक लगभग 17 करोड़ डॉलर की अतिरिक्त लागत की भी बचत हो सकेगी।और इसके साथ साथ ही यह 15 अरब टन भोजन की बर्बादी को कम करने में भी सहायक होगा।
प्रधानमंत्री का पूरा जोर व्यवहार परिवर्तन पर रहा उन्होंने कहा कि व्यवहार परिवर्तन से बहुत कुछ संभव है विश्व बैंक समूह जलवायु विथ को बढ़ाना चाहते हैं कि यह 26 फीसदी से बढ़कर 35 फीसदी हो सकता है।
विश्व बैंक प्रमुख ने भी पीएम की पहल की सराहना की..
आपको बता दें कि इसे वाली तुम्हें वर्ल्ड बैंक के प्रमुख डेविड माला पास भी थे उन्होंने कहा कि भारत की पहल के बारे में आज श्री मोदी से सुनकर अच्छा लगा मालापास ने इस बारे में एक ट्वीट भी किया है की सही प्रोत्साहन से जो भी संस्थाएं इसमें काम कर रही हैं वह सब पुरानी आदतों और व्यवहारिक बदलाव पर जोर देकर पर्यावरण की रक्षा में मदद करें।